सुरेश शर्मा
राम मंदिर का सबसे सुन्दर हल
देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। चार पक्षकार थे जिन्होंने विवादित जमीन पर अपना दावा किया था। शिया वक्फ बोर्ड को छोड़कर सभी पक्षों को निर्णय में समाहित किया गया है। जीमन पर दावेदारी केवल रामलला विराजमान की ही रखी लेकिन बचे हुये दोनों पक्षों को भी सन्तुष्ट करने का प्रयास किया गया है। कई बार यह लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देने के साथ ही न्याय देने का भी सफल प्रयास किया है। कई बार यह लगता है कि कोई पक्षकार निर्णय का विरोध करके अपील में जायेगा तभी यह विचार भी आता है कि उसे समाज क्या कहेगा? यही तो कहेगा कि आप देश की शान्ति के साथ नहीं हो। इस निर्णय से वर्षों से चली आ रही सामाजिक समस्या का अन्त हो गया। हिन्दू समाज की भावनाओं का विषय था तो उसे कानून ने भावनाओं का सम्मान दिया। दूसरी तरफ मुस्लिम समाज को बाबर के दाग से मुक्त करके अयोध्या में ही 5 एकड़ में एक भव्य मस्जिद बनाने का मौका दे दिया। जिस प्रकार की एकता अयोध्या में हिन्दू और मुसलमानों की है वैसी वहां आगे भी बनी रहने वाली है और देश में होने वाला भावनात्मक टकराव भी समाप्त हो जायेगा। इस निर्णय पर दो लोगों को छोड़कर सभी की प्रतिक्रिया सकारात्मक है। औबेसी के मूह से जहर निकला है और जिलानी ने अपील की बात कह कर रंग में भंग डालने का प्रयास किया है। जिलानी को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने चुप करा दिया और औबेसी को समाज ने साथ न देकर। इसस प्रकार अब भारत समस्याओं से निकल कर विकास की राह पर अन्य देशों की भांति कदम रख दिया है।
पांच शतक से जिस विषय विवाद हो रहा था उसे मामले को देश की सबसे बड़ी अदालत ने चालीस दिन में अपना निर्णय सुना दिया। यह फैसला भी हुआ है और न्याय भी दिखा है। निर्णय के बाद किसी भी पक्ष की ओर से यह नहीं कहा गया है कि यह हमें अस्वीकार है। सभी ने इसे स्वीकार किया है। कुछ किन्तु-परन्तु आये लेकिन वह पहली प्रतिक्रिया भर रही बाकी सब संभलता चला गया। भगवान श्रीराम जो देश के करोड़ों हिन्दूओं की भावना के साथ आस्था से भी जुड़ा विषय था उसको ऐसे सुलझाया गया है कि खुशी है। लेकिन 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देकर मुस्लिम समाज को बाबर के दाग से भी मुक्त कर दिया और भव्य मस्जिद बनाने के लिए भी रास्ता खोल दिया। इससे दोनों ही समुदायों को आक्रान्ताओं से दूरी बनाने का मौका दे दिया। भारत को भारत की जड़ से जोडऩे का प्रयास इस निर्णय में हुआ है। यह सच है कि निर्णय कानून के दायरे में रह कर किया गया है इसलिए इसमें भावनाओं का कोई स्थान नहीं था। फिर भी भावनाओं को अपने आप सन्तुष्ट होने का मौका मिलता चला गया। शिया वक्फ बोर्ड ने जमीन के हिस्से में अपना दावा किया था लेकिन वह इसे प्रमाणित नहीं कर पाया। इसलिए उसे पहले झटके में ही उसे मुकदमें से बाहर कर दिया गया। निर्माेही अखाड़े की ओर से मंदिर की पूजा की जा रही थी इसलिए उसे उच्च न्यायालय ने जमीन में बराबर का हकदार माना था। सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी दावेदारी को समेट दिया गया और उसे ट्रस्ट का हिस्सा बनाने कर सलाह दी है। जब जमीन के दो दावेदार बचे तो ऐतिहासिक तथ्यों और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को आधार मानते हुये यह पाया गया कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। मंदिर को गिराकर बनाई गई इसका कोई सबूत न्यायालय को नहीं मिला। लेकिन न्यायालय ने यह पाया कि जिस स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी वह गैर इस्लामिक स्ट्रेक्चर था। वह स्ट्रेक्चर हिन्दू मंदिर का था। मतलब साफ है कि मस्जिद हिन्दू मंदिर पर बनाई गई लेकिन उसके तोडऩे के प्रमाण नहीं थे। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का जमीन से दावा समाप्त हो गया। लेकिन वहां नमाज पढ़ी जाती रही है इसलिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए दे दी गई। यह इस निर्णय का मूल तत्व है जिसके आधार पर न्याय भी हुआ है और फैसला भी।
राममंदिर के लिए आन्दोलन करने वाले पक्षों का विवाद न हो इसके लिए केन्द्र सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश थमा दिया गया। राममंदिर का आन्दोलन करने वाले ही इस समय सरकार का संचालन कर रहे हैं इसलिए उनके निर्णय के बाद किसी के असन्तुष्ट होने का सवाल ही नहीं उठता है। ऐसे में राममंदिर की समस्या का ऐसा हल निकला है कि पूरे विश्व में एक सकारात्मक लहर शुरू हो गई है। कुछ तत्वों ने विवाद करने की कौशिश की गई लेकिन उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिला है। लेकिन इतनी अपेक्षा करना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय को सांसद औबेसी को बुलाकर फटकार जरूर लगाना चाहिए क्योंकि वे देश की अमन और शान्ति, भाईचारा और सामुदायिक एकता के विरोधी बनकर उभर रहे हैं। देश भावनाओं के खेल में बहता रहा है। ऐसे में औबैसी जैसे नेताओं के बयान इन भावनाओं का दोहन करते हैं और इससे देश अशान्त होता है। जफरयार जिलानी ने एक वकील की टिप्पणी की थी जिसे उसके पक्षकार ने अस्वीकर कर दी। अब लगता है इस निर्णय को सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि हिन्दू समाज की ओर से एकता की बातें ही हुई हैं और मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी उच्च मानदंड स्थापित किये हैं। इसलिए सभी पक्षों की तारीफ की जाना चाहिए। राजनीतिक दलों का सयंम भी गजब का रहा है। जबकि उन्हें यह पता है कि इस समस्या का अन्त हो जाने के बाद उन्हें वोट बैंक बनाने के लिए दूसरे रास्ते तलाशना पड़ेंगे।
मोदी सरकार को आलेख में लाये बगैर यहां पक्ष पूरा नहीं होगा। भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के तीन प्रमुख और विवादित मुद्दे रहे हैं। इनमें से दो को पूरा कर दिया गया है। जिस तरीके से पूरा किया गया उससे देश को सुखदचकित होने का अनुभव है। दोनों ही विषय महत्वपूर्ण भी थे और कहीं न कहीं विकास में बाधक भी थे। धारा 370 के कारण हमारे देश में ही एक और देश बना हुआ था। उसको अपनी तरफ खींचने के लिए पाकिस्तान भी प्रयास करता था और बचाने के लिए भारत का सैन्य शक्ति का प्रयोग करना पड़ता था। निवासियों में भावनायें ऐसी पनप रही थीं कि वे सन्तुलन को बिगाड़ती थी। मोदी सरकार ने उसका समाधान ऐसा निकाला किया कश्मीर का विवाद भी कमजोर हो गया, आतंकवाद को पनपने का रास्ता भी बंद हो गया। वह धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगा। जिस तरीके से विकास का रास्ता निकाला गया है पाक अधिकृत कश्मीर में भी भारत के साथ आने की भावना पनपेगी। यदि ऐसा हो गया तो भारत मेंएक और दीवाली मनाने का मौका मिलेगा। 370 हटाने में देश की प्रतिक्रिया इतनी सकारात्मक रही है कि रामंमंदिर का मुद्दा भी हल होने की दिशा में चला गया। राममंदिर का सुन्दर हल भी वैसा ही है जैसी 370 हटने की खुशी थी।
इन दो महत्वूपूर्ण और विवादित विषयों के शान्त होने से देश की ऊर्जा विकास कार्यों पर लगेगी। जिन देशों में विकास की राह पर आगे निकलने का प्रयास किया है उनके यहां पर कोई ऐसा विवाद नहीं है जिससे वहां की जनता का ध्शन उसमें लगता हो। जिन देशों में हमसे पहले आजादी हासिल की वे हमसे विकास में आगे निकल गये। हम इसलिए पीछे रह गये कि हम तो 370, राममंदिर और कानून की असमानता में ही उलझे रहे हैं। अब ऐसी कोई समस्या देश के सामने नहीं है। इसलिए विकास का रास्ता आसान हो जायेगा। राममंदिर के निर्माण के बाद यूपी की तस्वीर बदल जायेगी। पूरे विश्व के हिन्दू भगवान के मंदिर में दर्शन करने आयेंगे और पर्यटक इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने आयेंगे। यूपी का विकास होगा, देश का विकास और इससे अयोध्या को सपन्न होने में अधिक समय नहीं लगेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने एक विवाद का सुन्दर हल निकालाा है साथ में देश को प्रगति के पथ पर चलने की दिशा भी दी है।
संवाद इंडिया