भोपाल। बिल्ली के भाग्य से छींका टूट जाए और बिल्ली को दूध मलाई खाने को मिल जाए यह कहावत अनेकों बार सुनाई देती है। लेकिन महाराष्ट्र में जब बिल्ली को यह एहसास होने लग गया कि छींका टूटने के बजाए घी की हंडिया ही साथ में आने वाली है ।ऐसे में यदि पूरा घी और मलाई कोई और खा जाए यह कम ही हो पाता है। रात में जब सब लोग सोए थे तब यह तय माना जा रहा था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। लेकिन जब भोर हुई तब तक बहुत कुछ बदल चुका था। सूर्य की पहली किरण के साथ भाजपा और एनसीपी के बागी विधायकों के बीच सत्ता का बंटवारा हो चुका था। देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बन गए और अजीत पवार उपमुख्यमंत्री। यह बताने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि अजित पवार राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे हैं। और तीन दलों की सरकार बनाने में उनकी मुख्य भागीदारी रही है। रातो रात क्या हुआ यह तो खोज खबरचियों के लिए विषय हो सकता है। लेकिन बिल्ली का भाग्य इतना खराब था कि छींका तो टूटा नहीं दूध मलाई किसी और के हाथ लग गई।
तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियां जो महाराष्ट्र में गैर भाजपाई सरकार बनाने के लिए प्रयासरत थी। बैठकों पर बैठकर कर रही थी। जब बैठक समाप्त होती तब फॉर्मूला निकल गया यह बताने के साथ अगली बैठक की तारीख भी मीडिया को बता दी जाती। कल भी यही हुआ था। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बन गया। मुख्यमंत्री का नाम तय हो गया। किस दल के कितने विधायक मंत्री होंगे यह भी तय हो गया। केवल राज्यपाल को चिट्ठी देकर शपथ लेने की तारीख तय करना बाकी थी। अहमद पटेल आए और उन्होंने सूचना दी सब कुछ तय हो गया है शिवसेना का मुख्यमंत्री बनेगा। बैठक कल फिर करेंगे। ऐसा क्या कि सब तय होने के बाद भी बैठक होना बाक़ी रह गई? इतने में भाजपा बाजी मार ले गई। वो अपना मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब हो गई। इसे राजनीति में साइलेंट किलर कहा जाता है।
सुबह पत्रकारों से बात करते हुए शरद पवार ने भी कह दिया। उन्हें यह नहीं मालूम कि उनका भतीजा भाजपा के साथ कैसे चला गया? यह कयास तब भी लगाए गए थे जब शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए थे। मीडिया के कुछ समीक्षक तब भी यह सोच रहे थे जब शरद पवार यह कह रहे थे सरकार बनाने के संबंध में कोई बात नहीं हुई है। यदि पवार पहले इतना कठोर और गंभीर सच बोलते रहे हैं तो आज उनकी इस भाषा पर किसे एतराज हो सकता है। यह तो उद्धव ठाकरे को समझना होगा कि वे किसके साथ मिलकर भाजपा को पटखनी देने निकले थे। बाला साहब ठाकरे की आत्मा उस समय प्रसन्न हो रही होगी जब बेटा मुख्यमंत्री की कुर्सी उनकी झोली में डाल रहा था। लेकिन अब ठाकरे का सामना कैसे करेंगे यह तो सामना में पढ़ कर ही समझ में आएगा। लेकिन इस बात को कोई भी इनकार नहीं कर रहा कि भाजपा ने महाराष्ट्र में वो किया है जो किसी ने सोचा भी नहीं था। इसे कहते हैं केंद्र में सरकार और सरकार में अमित शाह का होना।