भोपाल। विशेष प्रतिनिधि
कमलनाथ सरकार के मंत्री उमंग सिंघार की कुर्सी जाना लगभग तय है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा शिवराज पाटिल और मीरा कुमार की समिति जिन अनुशासनहीनता के आरोपों की जांच कर रही थी उमंग सिंघार को इसमें दोषी पाया गया है। इसलिए उनकी कुर्सी जाना तय मानी जा रही है। झारखंड विधानसभा के चुनाव के कारण अभी उन्हें अभयदान मिल गया है लेकिन चुनाव के बाद उनके हटने की संभावनाएं बताई जा रही है।
लगभग 3 माह पहले वन मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे सिंघार ने उन्हें रेत और शराब कारोबार में शामिल बताया था। कमलनाथ सरकार में सुपर मुख्यमंत्री के आरोप भी दिग्विजय सिंह पर लगाए गए थे। इन आरोपों की जांच करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज पाटील और मीरा कुमार की 2 सदस्य समिति का गठन किया था। समिति ने विभिन्न स्रोतों से आरोपों को परखने का काम किया और उसे अनुशासनहीनता माना है। समिति ने अपनी रिपोर्ट श्रीमती सोनिया गांधी को सौंप दी है जिसमें उमंग सिंघार को अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया है। इसलिए उमंग सिंघार का मंत्री पद से हटना तय माना जा रहा है।
मंत्री उमंग सिंघार आदिवासी होने के कारण झारखंड में सह प्रभारी बनाए हुए हैं। जहां अभी विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। इसलिए चुनाव के बीच में कार्रवाई किए जाने का विपरीत असर पड़ेगा यह मानकर सिंघार का मंत्री पद बच रहा है। झारखंड चुनाव के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़े उठापटक के संकेत दिखाई दे रहे हैं।