अध्यक्ष का बहाना मामला सर्वोच्च न्यायालय में है
भोपाल। विशेष प्रतिनिधि
विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति उच्च् न्यायालय जबलपुर के आदेश के बाद भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी के मामले में सरकार के दबाव में हैं। सरकार सजा को स्थगित किये जाने के विरोध में सर्वोच्च् न्यायालय गई है लेकिन वहां मामला पंजीबद्ध नहीं हुआ है। फिर भी अध्यक्ष वहां की आड़ ले रहे हैं। आज नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव अध्यक्ष से मिलने पहुंचे और अपने विधायक की सदस्यता को बहाल करने का आग्रह किया। लेकिन अध्यक्ष ने सर्वोच्च् न्यायालय में मामला होने का बहाना बनाया और विषय को राजनीतिक लड़ाई के लिए छोड़ दिया। अब विपक्ष के सामने अध्यक्ष के निर्णय के खिलाफ आन्दोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। गोपाल भार्गव रणनीति बनाने के लिए नेताओं के पास चले गये हैं। इस मामले में विधानसभा चुप सी है।
भोपाल के स्पेशल कोर्ट द्वारा एक आपराधिक मामले में दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता को अध्यक्ष ने समाप्त कर दिया था। लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा सजा को रोक दिये जाने के बाद सदस्यता को बहाल नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर भाजपा नाराज चल रही है। आज नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति से मिलने के लिए पहुंचे। उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे विधायक को सदन में आने दें ताकि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठा सके। लेकिन एनपी ने यह कह कर मामले से पल्ला झाड़ लिया कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचार के लिए है। जबकि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान में ले लिया हो, स्थगन दे दिया हो या कोई तारीख लगा दी हो। गोपाल भार्गव ने मीडिया से बात करते हुये कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के संरक्षक होते हैं। उन्हें दलीय भावनाओं से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे अध्यक्ष के तरीके से सन्तुष्ट नहीं हैं।
इसके बाद गोपाल भार्गव पार्टी के बड़े नेताओं से रणनीति पर चर्चा करने के लिए रवाना हो गये। भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने शिखरवाणी से बात करते हुये कहा कि हम लोधी को लेकर सदन में जायेंगे। यह हमारी पहले से ही घोषणा है। हम आन्दोलन की रणनीति बना रहे हैं कि इस मामले को किस प्रकार से सदन में उठाया जावे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि विधायक के मामले में कांग्रेस राजनीति कर रही है। वह इसकी आड़ में सदन में अपना बहुमत बनाना चाहती है। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष का दुरूपयोग किया जा रहा है। विधानसभा नियमों और कानून से चलती है लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। अब आन्दोलन किया जा सकता है। विधानसभा में कई अधिकारियों से इस बारे में पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन किसी का फोन नहीं उठा और किसी ने उठाने के बाद मामले से पल्ला झाडऩे का प्रयास किया। लेकिन विधानसभा सत्र के दौरान इस मामले में खासा हंगामा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।