'राहुल' से झूठ बुलवाने वाले 'प्रायश्चित' करेंगे?

 

















 


सुरेश शर्मा (लीक से हटकर )


भोपाल। देश की सबसे बड़ी अदालत इन दिनों खासी सक्रिय है। जिस प्रकार से राममंदिर के विषय का समाधान दिया है कोई चूं भी नहीं बोल पा रहा है। ठीक इसी प्रकार से देश की राजनीति में नया बोफोर्स बनाने का प्रयास जिस राफेल के माध्यम से किया गया था वह भी ऐसा निपटाया कि कई राजनेता भी निपट गये। राहुल गांधी का विश्वास बट्टे खाते में चला गया तो विद्वत्ता के नाम पर देश में जुगाली करने वाले अरूण शौरी और यशवंत सिन्हा के अहमं को भी चोट पहुंच गई। मोदी सरकार के खिलाफ हमले करने वाले सिरे पर नहीं चढ़ पा रहे हैं। राफेल के मामले में जिस प्रकार का चुनाव कैम्पेयन किया गया वह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि एक योजना के तरह कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल गांधी की राजनीति की भु्रण हत्या कर दी। पहले ही वे अपनी नासमझी के कारण ट्रोल होते रहे हैं। चौकीदार चोर का नारा देकर उनकी राजनीतिक समझ को भी चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया गया। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी ने यह सब अपनी राजनीतिक समझ के आधार पर किया? या फिर कांग्रेस के योजनाकारों ने ऐसी रणनीति ही बनाई जिससे जनता के न्यायालय में और देश के सबसे बड़े न्यायालय में भी राहुल गांधी को मात खाना पड़ी। यह भी उतना ही सच है कि शौरी, सिन्हा और भूषण को भी मूंह की खानी पड़ी है।


राहुल गांधी बड़े आत्मविश्वास से चौकीदार चोर का नारा दे रहे थे। अनिल अंबानी की जेब में गरीबों की जेब से निकाल कर 30 हजार करोड़ दे दिये गये। ऐसा लग रहा था कि जब ये पैसे जेब से निकाल कर जेब में डाले जा रहे थे तब राहुल गांधी वहीं खड़े सब देख रहे थे। उनका कोई प्रतिनिधि देख रहा था। देश ने नरेन्द्र मोदी को मनमोहन की भांति मूक दर्शक और यपूीए की भांति बेइमान सरकार नहीं माना है। जिस सरकार के कार्यकाल में घोटालों के आरोप ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चरवाहे पर खेत में जानवर चराने का आरोप लगता है। ऐसी सरकार के संगठन प्रमुख यदि चौकीदार चोर की बात भी झूठ के सहारे होकर कहे तो फिर उस दल का भगवान ही मालिक है। भगवान भी क्या जनता ने तो उसे दोबार से विपक्ष के नेता बनने की हैसियत भी नहीं दी है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने जिस प्रकार का आदेश दिया है या टिप्पणी की है उससे भी कांग्रेस की साख को बट्टा तो लगा ही है राहुल गांधी झूठ के सहारे राजनीति करते हैं, अविश्वसनीय है यह सब सामने आ गया। इसकी भरपाई करना उनके बस की बात तो कम से कम नहीं है।


तब यह सवाल उठता है कि उन्हें यह सब सिखाने वाले राहुल के रणनीतिकार जनता में नकारे जाने के बाद और अब न्यायालय से दो बार फटकार खाने के बाद क्या प्रायश्चित करेंंगे? राहुल गांधी की राजनीति को लगभग समाप्त करने की योजना किस षडयंत्र के तहत रची है इसको लेकर कांग्रेस कोई जांच करायेगी? कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाजपा के कांग्रेस मुक्त नारे के साथ इन रणनीतिकारों का तालमेल हो गया हो? नहीं तो कोई कारण नहीं है कि राहुल गांधी इतना भी नहीं जानते होंगे कि उनकी किस बात का प्रभाव जनता में क्या जा रहा है? कांग्रेस को चाहने वाले इस घटना के बाद प्रायश्चित करने के लिए दबाव जरूर बनायें।