भोपाल। क्लीन, चमकदार कपड़ों को धारण करने वाले, माने हुये वकील, अर्थशास्त्री, शालीनता का आवरण ओढ़े रहने वाले और उससे भी अधिक हिन्दू आतंकवाद के जनकों में एक पी. चिदम्बरम जेल से 106 दिन बाद बाहर आ गये हैं। जैसा कि स्वभाविक था कि अपनी पार्टी की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी से उनकी पहली मुलाकात भी हो गई। हमारे दिग्गी राजा आज तक अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं कर पाये हैं। लेकिन चिदम्बरम को तत्काल बुला लिया गया है। राहुल गांधी का बयान आ गया है कि अब न्याय मिलेगा। लेकिन इतना जरूर है कि देश के इस सफेद वस्त्रधारी नेता की एक न चली और रहना तो जेल में ही पड़ा। इस सारे मामले को गृहमंत्री अमित शाह से जोड़कर भी देखा जा रहा है। जब चिदम्बरम गृहमंत्री थे तब अमित शाह को तड़ीपार करके जेल भेजा गया था लेकिन वे इस मामले में बरी हो गये। आज भी उस पर राजनीतिक चर्चा होती है। अब जब अमित शाह देश के गृहमंत्री हैं तब चिदम्बरम जेल की हवा खाकर आये हैं। माने हुये वकील हैं और जाने-माने वकीलों ने साथ दिया इसके बाद भी देश की सबसे बड़ी अदालत को जमानत देने में 105 दिन लग गये। अब चिदम्बरम की अपनी राजनीति शुरू होगी और उन्हें बताना होगा कि वे निर्दोष हैं।
देश की राजनीति की फिजा बदल गई है। जो काम कांग्रेस करा करती थी वह अब भाजपा ने करना शुरू कर दिया है। देश को पहले कांग्रेस अपने हिसाब से चलाती थी। उसकी विचारधारा की देश की विचारधारा बन जाती थी। यह सोनिया गांधी तक हुआ लेकिन सोनिया गांधी ने अपने एजेंडे को चलाया। हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रचलन शुरू करने के लिए जिस तरह की रणनीति चंद नेताओं ने बनाई उसका ही परिणाम है कि देश में राजनीतिक कटुता बढ़ गई। लालू यादव से पहले कितने लोग भ्रष्टाचार के मामले में इतनी लम्बी जेल गये? क्योंकि लालू ने विरोध की राजनीति को व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल लिया। चिदम्बरम ने भी ऐसा ही किया। अमित शाह को जेल भिजवाया इसलिए जेल तो जाना बनता ही था लेकिन हिन्दू आतंकवाद की आड़ में देश की सभ्यता को बड़ा नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया इसकी सजा बोनस में मिलना थी। इसलिए जो हुआ सो हुआ। एक मामले में वे जेल से बाहर आ गये। कुछ मामले और बाकी हैं। यदि वे जेल नहीं भी गये तब भी कोर्ट के चक्कर काटते काटते जिंदगी का अन्तिम समय आ जायेगा। इसीलिए कहा जा रहा है कि उनका खेल खत्म हो गया है।
चिदम्बरम की जेल में गांधी परिवार से मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं। वे जेल से बाहर आये इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं। जमानत न होने पर जेल की हवा खाना और जमानत होने पर जेल से दूर रहने में अधिक लम्बा अन्तर नहीं होता है। कांग्रेस के लिए अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। हालांकि कुछ राज्यों में उसकी सरकार बन गई लेकिन वह अपना केन्द्रीय प्रभाव खो रही है। कमलनाथ मुख्यमंत्री बनकर इतने ताकतवर हो सकते हैं कि वे एक पत्रकार के ठिकाने ध्वस्त कर दें लेकिन सोनिया-राहुल के ताकतवर होने के चांस कम हो गये हैं। ऐसे में चिदम्बरम का जेल जाकर आना भी अपनी कहानी कह रहा है।